शुक्रवार, 2 जुलाई 2010

योग भोग जोग रोग

ज्योतिषी होना और लोगों के उत्तर देना बहुत ही टेढा काम है.एक सज्जन ने पूंछा-"क्या मेरी कुंडली में प्रेम योग है ?" उनकी कुंडली को देखा,मन में समझ तो पहले ही गया था कि इनकी कुंडली में कोई न कोई ग्रह उल्टा हो गया है,यानी बक्री है,राशि का भार समय का भार सभी भार जब मिलाकर देखे तो पता लगा कि खून का कारक मंगल भी बक्री है और सम्बन्ध का कारक गुरु भी बक्री है,शुक्र मंगल की युति चन्द्रमा के साथ है तिस पर मंगल का रूप उल्टा,जबाब में लिख दिया-"आपकी कुंडली के अनुसार आपकी कुंडली में प्रेम योग न होकर प्रेम रोग है",और पूरे उन्नीस साल का यह योग है,शादी का फ़िर भी ना कोई योग है और ना ही कोई जोग है,फ़िर उनका जबाब आया कि कोई उपाय हो तो बतायें,पहली समस्या शांत नही हुयी दूसरी और सामने लाकर खडी कर दी,जन्म के मंगल को सीधा करना,शुक्र को कर्क राशि से निकालना,वृष के गुरु को सीधा करना मेरे वश की बात तो है नही,वह तो जो लिखाकर लाये है उसे तो भुगतना ही पडेगा। उनके तीन चार ईमेल आये,आखिर में उनको जबाब दिया,उन्हे बहुत ही संवेदनात्मक भाषा मे लिखा-"आपकी शुक्र की दशा लगी हुई है,आपका शुक्र कर्क राशि का है,आपका गुरु बक्री होकर चौथे भाव में वृष राशि का है,आपका मंगल बक्री होकर मीन राशि का चन्द्रमा के साथ धन भाव में विराजमान है,मीन राशिके चन्द्रमा का फ़ायदा लीजिये,मीन राशि का चन्द्रमा आसमानी पानी का कारक है,मीन का मंगल उत्तेजना का कारक है,लेकिन बक्री होने से वह उत्तेजना को शांत करने वाला है,शरीर की भूख को शांत करने के लिये बक्री मंगल बहुत ही उपयोगी है। खानपान विभाग को संभालकर हवाई यात्राओं वाली कम्पनी का कार्य करना शुरु कर दो। हवाई जहाज के अन्दर भोजन व्यवस्था को सम्भालने का कार्य इस योग को शांत कर देगा। जबाब उनको भेज दिया था लेकिन आज तक दुबारा उनका कोई ईमेल नही आया है। ग्रह भी कैसा कैसा योग सामने कर देता है,विचित्र विचित्र बातें सामने कर देता है सभी बातें योग की मानी जाती है,योग के लिये लोग ज्योतिषियों के चक्कर लगाते है,लेकिन खुद को पहले ही योग की पहिचान होने लगती है,ज्योतिषी तो केवल मानसिक भावना को सामने कर देता है,जो मानसिक भावना को सामने कर दे वही सच्चा ज्योतिषी बताया जाता है,और जो मानसिक भावना को खुद के चन्द्रमा के खराब होने पर नही सामने कर पाये वही बेकार का ज्योतिषी बन जाता है। हिब्रू की वर्णमाला में अंग्रेजी अक्षरों का नम्बर बताया गया है,उन नम्बरों के आधार पर लोग नाम को पूँछ कर उनकी संख्या को बताने लगे है,जैसे मैने आपका नाम पूंछा तो आपने अपना नाम "सुमित" बताया,हिब्रू वर्णमाला में अक्षर एस का मान तीन है,बिना सोचे विचारे जबाब दिया कि भाई बहिन की संख्या तीन होनी चाहिये। सामने वाला आश्चर्य में पड गया,यही करामात आगे के पन्नो में उजागर की जायेगी। ज्योतिष में महिना का भार होता है,राशि का भार होता है,खुद के नाम का भार होता है,तारीख का भार होता है। जैसे किसी ने बीस अक्टूबर को सुबह के सात बजे प्रश्न किया,कि मेरे मन में क्या चल रहा है ? जानकार ज्योतिषी सीधे से बीस तारीख का भार देखेगा,जो गणित से अस्सी आयेगा,अक्टूबर का भार देखेगा जो तीन सौ छियासठ आयेगा फ़िर समय का भार देखेगा जो चारसौ बीस आयेगा,सभी को जोडेगा योग आठ सौ छियासठ आयेगा। जो भी प्रश्न का उत्तर है वह इसी संख्या में छुपा है,सबसे पहले आठ जो सैकडा में है दूसरा नम्बर छ: दहाई की संख्या में है और तीसरा नम्बर भी छ: इकाई की संख्या में है। राशि के भार को देखने पर यह तुला लगन का भार है,इस तारीख को इस समय तुला लगन ही होगी,चन्द्रमा का ध्यान रखने पर पता लगा कि वह वृश्चिक राशि का है,यह चन्द्रमा सीधे से अपने सातवें भाव में स्थापित वृष राशि को देख रही है,तुला का स्वामी भी शुक्र है और चन्द्रमा के द्वारा देखी जाने वाली राशि भी शुक्र की राशि है,दो छक्कों का योग तो मिल गया,तीनो का जोड मिलाया तो तारीख भी बीस कन्फ़र्म हो गयी। दो नम्बर चन्द्रमा का है और जो भी भावना है वह चन्द्रमा पर ही निर्भर है,आठ नम्बर शनि का है,और छ: नम्बर शुक्र का है,बात करने वाला स्त्री जातक है,कारण तीनो ही ग्रह स्त्री जातक के है,शनि+शुक्र= नकली राहु,जातक का नाम राहु के अक्षर से है.

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