शुक्रवार, 20 जुलाई 2007

मौत के बाद


क्या मौत के बाद जीवन है ?
अर्जुन ने भगवान मुरली मनोहर से प्रश्न किया कि हे प्रभु ! आपका जन्म तो अभी हुआ है,और सूर्य का जन्म तो कितने ही काल पहले हुआ था,मै किस प्रकार से मानू,कि आपने ही भगवान सूर्य को योग विद्या सिखाई थी ?
भगवान मुरली मनोहर ने जबाब दिया कि - हे पार्थ! मेरे और तुम्हारे कितने ही जन्म हो चुके है,मुझे वह सब याद है,और तुम भूल गये हो,मै अजन्मा,अविनाशी,सम्पूर्ण प्राणियों का स्वामी,और अपनी ही प्रकरति से स्थित हूं,और अपनी ही माया से ही जन्मता हूं,जो मेरे इस अलौकिक रूप जन्म और कर्म का तत्व जानता है,वह मौत के बाद फ़िर जन्म नही लेता है,और मुझमे ही लीन हो जाता है ।
गीता संसार की सबसे प्राचीन और सर्वश्रेष्ठ ज्ञानदाता है,यह महा भारत नामक ग्रन्थ का अंश है,कब महाभारत हुई और कब गीता लिखी गई,यह सब विवाद के घेरे मे है,लेकिन हजारो साल पहले की बात जरूर मालुम होती है,गीता को संस्कार युक्त भाषा मे लिखा गया,गीता के लखने का काल तो महाभारत से भी पहले का इसलिये लगता है,कि जो बाते गीता मे लिखी है,वे महाभारत से काल मे तो थी ही नही,इसलिये लगता है कि यह बात और पहले के महाभारत काल मे लिखी गई होंगी । हजारो साल पहले ही हमारे देश भारत के तपस्वियों ने और मुनियो ने ज्ञान प्राप्त कर लिया था,उनके मतानुसार आत्मा,अजर अमर,अद्रश्य,अकाट्य,है । मौत केवल चोला परिवर्तन है,जिस प्रकार से कपडे को बाला जाता है,उसी प्रकार से आत्मा शरीर को बदल देती है,इसलिये मालुम चलता है कि मौत के पहले का जीवन जान लेने की गति यहां के लोगो मे बहुत पहले से ही थी,और उनको पता होता था,कि अगला जन्म कहां और किस जीव के रूप मे होगा,इसकी एक कहानी पुराणों मे मिलती है,एक राजा ने बहुत तपस्या अपने पिछले जीवन मे की थी,और तपस्या के बाद दूसरा जीवन उसको एक राजा के घर मे मिला,राज्पुत्र होने के कारण राजगद्दी भी उसको मिली,राज भोगने के बाद उसका जब अन्त समय आया तो उसने अपने पुत्रो को बुला कर कहा कि,मेरा अन्त समय अब आ गया है,और अब राज्य की बागडोर तुम सबके हाथ है,साथ ही मैने राजा के रूप मे कितने ही जाने और अन्जाने पाप किये है,अगले जन्म मे मुझे एक शूद्र के घर सूअर के रूप मे जन्म होगा,मै नही चाहता हूं कि एक राजा सूअर के रूप मे भिष्टा खाये,तुम मुझे मेरे जन्म के बाद ही खत्म कर देना,मेरी पहिचान होगी कि मेरे माथे पर एक सफ़ेद गोल निशान होगा,यह निशान मेरे द्वारा लगातार चन्दन लगाये जाने के कारण ही पाप रहित होगा,कुच समय बाद राजा की मौत हो गयी और राजपुत्र अन्तिम क्रिया आदि करने के बाद उसी शूद्र के घर पर गये,और उसको आज्ञा दे कि जितने भी सूअर के बच्चे इस बीच मे पैदा हुए है,उनको लाकर दिखाओ,शूद्र ने राजा के मरने के बाद मे जन्मे सूअर के बच्चो को लाकर दिखाया,उनमे एक बच्चा मिला जिसके माथे पर राजा के बताये अनुसार सफ़ेद रंग का निशान था,राजपुत्रो ने उस बच्चे को अलग करवाया,और उस बच्चे को मारने के लिये जैसे ही हथियार चलाना चाहा,वह सूअर का बच्चा अपने सिर को हिलाकर मना करने लगा कि अब मत मारो,मै इसी काया मे खुश हूं,कारण अगर तुम अगर मुझे मार दोगे तो मुझे फिर से जन्म लेना पडेगा,और जो दुख जन्म लेने पर होता है,वह मरने पर नही होता है,उसकी बात को समझ कर वे राजपुत्र अपने महल को वापस चले गये.कहानिया बिना किसी बात के बनती नही है,मनुष्य के मन मे जो आता है,वह किसी न किसी रूप मे होता जरूर है,जैसे अपने इसी काल को देखें,लोगो का मन था कि लोग एक दूसरे से दूर बैठ कर बात करे,टेलीफोन बन गया,फिर लोगो की इच्छा हुई कि बिना तार का टेलीफोन हो जिससे जहां जाऊं वही से बात हो जाये,और मोबाइल बन गया,फिर मन मे आया कि बात भी करूं,और शक्ल भी देखूं,वीडिओफोन बन गया,इसी तरह से जो आदमी मन मे लाता है वह किसी न किसी रूप मे होता जरूर है,मगर उस होने मे अन्तर कितना है,इसी बात का ज्ञान नही है ।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

achchhi kahani thi lekin kya koi agar kisi ke bare me janna chahe ki maut ke bad use kya sharir mila hai aur wo kahan hai ise janne ka koi upay haik kya
bhanu241986@gmail.com