सोमवार, 20 जून 2011

धार

जिसे जो धार मिल गयी वह उसी धार के सहारे अपने जीवन को आगे से आगे लिये चला जा रहा है। नदी नाले परनाले झरने आदि की धार तो पानी की होती है वैसी ही धार मनुष्य के लिये भी बनायी गयी है। लेकिन जो भी धार चल रही है वह हर प्रकार से नीचे के लिये ही जा रही है,धार कभी ऊंचे पर नही जा सकती है। ऊंचे पर जाने के लिये किसी भी धार को त्यागना जरूरी है,और एक जगह पर जमना भी जरूरी है,देखना भी है कि कहीं से कोई छेद तो नही है जो एक साथ नीचे नही ले जाकर धीरे धीरे नीचे की तरफ़ अन्जानी दिशा में ले जाने की फ़िराक में हो,वह छेद चाहे किसी चूहे के द्वारा बनाया गया हो या लोग मोह क्रोध आदि के द्वारा बनाये गये हों,अगर धार को एक जगह पर रोक लिया गया तो वह तप समाधि रूपी सूर्य की गर्मी से धीरे धीरे वाष्प बनकर ऊपर की तरफ़ ही ले जाने की कोशिश करेगी। जो लोग अपने को जल्दी इस जगत से मुक्त करने के चक्कर में लगे है वे किसी न किसी दुनियावी धार में बह कर चल रहे है,उन्हे जल्दी से जल्दी नीचे पहुंचने की आकांक्षा है,लेकिन जो स्थिर है वे आराम से अपने ह्रदय में सूर्य को स्थापित करने के बाद धीरे धीरे वाष्पन क्रिया से ऊपर की ओर जा रहे है,और जो नीचे जा रहे है उन्हे देख भी रहे है और अपने गन्तव्य को परखकर फ़िर से नीचे आने के लिये वेग का इन्तजार भी कर रहे है। यह तो सभी को पता है कि नीचे जाने वाली धार से नुकसान ही है,जैसे सांस को छोडा जायेगा तो वह नीचे ही जायेगी और सांस को खींचा जायेगा तो वह ऊपर की तरफ़ जायेगी,जो सांस ऊपर की तरफ़ जायेगी वह शरीर को जिन्दा रखने का काम करेगी और जो सांस नीचे जायेगी वह शरीर को मुक्त करने का काम करेगी,अब फ़ैसला आपके पास है धार को नीचे ले जाना है या ऊपर। यह धार अगर किसी प्रकार से सूक्ष्म घट में आजाये तो एक नही दो नही तीन नही पूरे के पूरे पांचो ब्रह्म प्रकट हो सकते है। जब उस सूक्ष्म घट का निरीक्षण किया जायेगा तो वहां पर कभी नही मरने देने वाली वस्तु के दर्शन होंगे वह अमृत कही जाये या उसको और कुछ भी कह सकते है,लेकिन वह तभी सम्भव है जब धार को उस घट की तरफ़ मोडा जाये। जब धार को नित्य अभ्यास से उस घट में स्थापित किया जाता रहेगा तो जो कभी नही देखा उस को देखने से सभी जगत की अभिलाषा अपने आप जाने कहां गायब हो जायेंगी। जो रूप सामने आयेगा वह कभी नही हटने वाला है चाहे कल्पान्त तक भी देखने की इच्छा है तो देखते ही रहिये वह रूप नही मिटने वाला है। तरह तरह के वाद्य सुनने को मिलेंगे,जगत की कल कल की ध्वनि से छुटकारा मिलेगा। धार में बहने से अच्छा है धार को बहाना।

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